वीरों का वीर , एक अद्भुत वीर, जसस..दयालुता

 

 
 

 वीरों का  वीर  

जसस
 

एक अद्भुत वीर

 
 

वीरों का वीर
एक अद्भुत वीर

 

नामजसस

विशेषताएंअद्भुत शक्ति, अद्म साहस, दानवीर, दयालु,

          अलौकिक
शक्तिया
ँ।

दोस्‍त –     माकू,  कराली,      ?

 

 
 

—————————————————————————–वीरों
का वीर

यह कहानी है – एक वीर का- अद्भुत शक्ति, अद्म साहस, दानवीरता, दयालुता
और जिसके पास है अलौकिक शक्तिया
ँ, साथ
ही उसके पास है ईश्‍वर 
का आर्शीवाद। उस वीर का नाम है – जसस

             हाँ – यह
जसस कि कहानी है
 

 यह कहानी अमरता की
है बलिदान, दयालुता और वीरता की,
 दोस्‍तों
का साथ देना, और एक प्‍यारी सी हमसफर का साथ निभाना।

जसस ने
हमेश सत्‍य और सही लोंगो का साथ दिया। बहुत कुछ है इस कहानी में, बहुत सारी
कहानियाँ, अनोखी,
अद्भुत घटनाएं।

आइए चलते हैं कहानी के उस मोंड़ पर और कहानी के उस
पन्‍ने को पढ़ने के लिए – 

 
 
 
 

आखिर क्‍यूँ ? 

वह
जंगलों में रहता है, और किस वजह से इन विकराल, मयावी और अनेक खतरों से भरी जंगलों
में रहता है। और किसकी तलाश में है?

 

 

जसस

 

 



तुफानी रातों में वह
अकेला ही चला जा रहा था। भेडि़यों की आवाजों से सारा जंगल गूँज रहा था।

चारों तरफ
घनघोर अंधेरा, पहाड़ों के पीछे से सिर्फ भेडि़यों की आवाज ही सुनाई दे रही थी।

 

पहाड़ों के सकरी रास्‍तों से निकलता हुआ। गुफाओं को पार करता हुआ। उसका कदम अपनी
मंजिल ओर 
कि बढ़ रहा था। 

वह जानता था ? ??

कहानी यहाँ से अपनी ओर ले जा रही है।

 जसस अपनी मंजिल कि  ओर बढ़ रहा था। 

 

यह जानते हुए भी कि-आगे की सफर और तलाश ? के लिए मुझे यह जंगल पार
करके जंगल के उस पार जाना है।

                     

जसस
को मालूम था कि यह जंगल बांकीमौरा के सरहद में आता है। वह जानता था कि बांकीमौरा
 एक मयावी जादूगर है, छलावी दुनिया का
सरताज है।

बांकीमौरा

अंधेरों का राजा है, खूखाँर, दानवी
और छालवा उसके फितरत में है। क्‍यों न हो, उसे तो यह खून से ही मिला था। क्‍योंकि
वह तो
जुकौरा का बेटा है।

जुकौरा ?

जसस

       जैसे ही उस तीन चमगादड़ निशान वाले गुफा के
अंदर गया उसे एहसास हो गया। कि – कोई मेरे पीछे आ रहा है। कोई उसका पीछा कर रहा।

 

       चारो ओर भयंकर भेडि़यों की आवाजें,
चुड़ैलों की रोती हुई आवाजें, चमगादड़ों का इधर-उधर से उड़ना, चारों ओर विषैले
साँप।

                बाहर से आ रही बादलों की गड़गड़ाहट, गुफा के
अंदर आती-जाती कड़कती बिजलियों की रोशनी, गुफा के पत्‍थरों का टूटना।

मानो कि बादल फट कर
गिर जायेगें और यह गुफा टूटकर नष्‍ट हो जायेगा।

 

 

      वह जानता था कि यह सब क्‍यों हो रहा?, उसे
मालूम था कि यह कौन करवा रहा है?, उसके पीछे का क्‍या कारण है?

मेरे रास्‍ते में ये
अड़चने क्‍यों आ रहें है? और कौन मेरा पीछा कर रहा है?
और यह छलावा किसका है?

       जसस को मालूम था यह सब क्‍यूँ हो रहा है?

उसकी सारी शक्तियाँ तैयार
थी, पर उनकों वह शांत कर रहा था।

अभी इनका इस्‍तमाल
करने का सही समय नही है। क्‍योंकि जैसे ही वह गुफा के अंदर घुसा था।

उसी समय उसकी सारी शक्तियाँ
उसे पहले से ही सतर्क कर दिये थे। कि  कौन
उसका पीछा कर रहा है ?

 कौन उसका पीछा कर रहा है ?

जसस तो सिर्फ वह खेल
खेलना चाहता था,
जो वह खेलना चाहता
है। पर ध्‍यान उसका था जो उसके पीछे – पीछे आ रहा था। जो उसका पीछा कर रहा था।

 
माकू

 

जसस
थोडा रूका और वह पीछे मुड़ा, और हँसते हुए कहा- मेरे दोस्‍त मुझसे क्‍या छुपा रहे
हो? चलो सामने आओ। तुम मेरा क्‍यों पीछे कर रहे हो? अरे तुम यहाँ क्‍यों आये हो।
माकू मेरे दोस्‍त चलो अब बाहर भी आ जाओ, तुम्‍हें तो मालूम है ना, मै कौन हूँ?

 

माकू, जसस के सामने
आया और हँसते हुए कहा – 

मेरे दोस्‍त मैं तो
दोस्‍त के लिए आया हूँ, मुझे आना ही था। मेरे दोस्‍त………

मुझे मालूम है – मेरा
दोस्‍त तो
अद्भुत
है,
वीरों का वीर, अद्म साहसी और दानवीर है।

 मै तो
अपने दोस्‍त के सामने एक छोटा सा कंकड़ हूँ। मैं तो अपने दोस्‍त के साथ- साथ चलना
चाहता हूँ।

मेरा दोस्‍त जो मंजिल पाना चाहता है, उस मंजिल तक
पहुँचने में मदद और साथ देने आया हूँ।

मेरे दोस्‍त मुझे भी अपने साथ ले ते चलो, मेरा ये
जीवन आपका ऋणी है, मैं अपने दोस्‍त के लिए कुछ काम में आ जाउँ। बस मेरा यही इच्‍छा
और ख्‍वाइश है।

जसस ने मुस्‍कुराते हुए कहा- तुम्‍हें मालूम है हमें
कहाँ जाना है?

 

 

क्‍या तुम्‍हें नही मालूम बांकीमौरा कौन है? भूल
गए वो पिछली घटनाऐ, और वो सारी परेशानियाँ।

माकू ने कहा- कुछ नही भूला मेरे दोस्‍त, और न ही
वो परेशानियो को । 

माकू हँसते हुए कहा – और मै यह भी जानता हूँ कि मेरा दोस्‍त
मेरे साथ है तो परेशानियाँ भी दुम दबाकर भाग जायेगी।

 

जसस आगे बढ़ा और माकू से कहा- मतलब तुम मेरा पीछा
नही छोड़ोगे।

माकू ने कहा – नही…….

जसस ने कहा – तो फिर चलो, हँसते हुए कहा- एक से
भले दो, जीत पक्‍की है मेरे दोस्‍त, अब दोनो हँसते चलते हुए कहा – अब क्‍या होगा
बाँकीमौरा का?, हॉ, हॉ, हॉ,

 

दोनो
दोस्‍त
हँसते चलते हुए जा रहे थें।

अपनी पुरानी रहस्‍मयी यादों को, और उन बेहतरीन किस्‍सों को जो रहस्‍मयी
था, उन पलों कों जिसमें वो जान की बाजी भी लगा चुके थे, उन यादों को ताजा करते हुए
जा रहे थें।

तभी अचानक एक साया उनके आस-पास आयी,
उनके चारो- ओर घुमकर, कुछ विचित्रि आवाजें लगाकर अदृश्य हो गई।



जैसे ही वो दोनों कुछ कदम आगे बढ़े, फिर से वह साया आयी, और उनके
चारो- ओर घुमकर, कुछ विचित्रि आवाजें लगाकर अदृश्‍य हो गई।

उस गुफा में अंधेरा ही अंधेरा था कहीं – कहीं पर बड़े – बड़े पत्‍थर
के  ओट से खुला जगह था, रोशनदान की तरह,
जिससे बाहरी रोशनी गुफा के अंदर आती थी और वो आवाजें सुनाई देती थी।

जसस को अंधेरा का एक रत्‍ती भर कोई चिंता नही था क्‍योंकि उसके पास
उन अनेक   शक्तियों में से एक विचित्र रहस्‍मयी शक्ति थी।

 

मसाल की, मतलब रोशनी, प्रकाश की। जसस की तर्जनी अंगुली में मसाल जैसी,
उससे भी ज्‍यादा रोशनी देने की शक्ति थी। इतनी तेज रोशनी की जहाँ तक नजर जाए, वहाँ
तक उजाला ही उजाला हो जाए। जसस को बस अपनी तर्जनी अंगुली सामने दिखाना होता है,
फिर रोशनी ही रोशनी। 

यह मसाल- रोशनी की शक्ति जसस को कैसे, कब, और  किसने दी? 

आगे इस रहस्‍मयी

कहानी  वीरों का  वीर, जसस में पढ़ेगें।

 

 बाहर से भेंडि़यों की आवाजें आ रही थी, चुड़ैलों की रोने की आवाजें
और वह कड़कती बिजलियों की आवाजें गुफा के अंदर आ रही थी।

उस पर वह साया का अचानक से आ जाना और विचित्रि आवाजें लगाकर अदृश्य
हो जाना। यह सब बहुत ही जल्‍दी– जल्‍दी हो रहा था। उस भयंकर जगह पर और रहस्‍मयी
तरह से, पल-पल में कुछ नया हो रहा था।

यह सब क्‍या हो रहा है?  यह
सब उन दोनो के सामने हो रहा है, और क्‍यूँ?

एक बड़े से पत्‍थर के सामने जसस रूका और माकू से कहा थोड़ा आराम कर
लेते हैं मेरे दोस्‍त– माकू।

जसस को मालूम था, और वह सब जान गया कि क्‍या हो रहा है? और वो साया
कौन है
?

माकू ने जसस से कहा – मेरे दोस्‍त, तुम यहाँ पर आराम करो, और यदि
तुम्‍हारा आदेश हो तो, क्‍या मै उस साया का पता करूँ? उस साया का पीछा करूँ। 

उस
साया को तुम्‍हारें पास पकड़ के
लाऊ। 

जसस ने माकू से कहा- मेरे दोस्‍त, जरा ठहरो, थोड़ा रूको, बिल्‍कुल
शान्‍त हो जाओ और चुपचाप उधर देखो।

जसस ने अपनी तर्जनी
अंगुली में मसाल जलाई
, मतलब
तर्जनी अंगुली को उधर दिखाई और मसाल जल गया कहा उधर देखो। 

अब समझ गये न, वह कौन है? माकू ने कहा अरे वह तो कराली है- अरे वह
यहाँ
पर क्‍यों आयी है?

कराली

 

जसस ने कहा – अब हमसे क्‍या छुपना कराली, अब बस भी करो, ये भयानक आवाज निकालना। बहोत हो गया, अब
हमारे पास आ जाओ। 

ये तुम्‍हारीं आवाज से हम दोनो बहोत ही डर गये- जसस ने हँसकर कहा।
माकू ने भी जसस को देखकर हँसतें हुए कहा- मैं भी डर गया था
, दोस्‍त। 

 

कराली साया से अपनी रूप में आ गयी। और कही- मेरे दोस्‍त कहाँ? चल दिये- अकेले
तुम दोनो। 

क्‍या तुम दोनों को डर नहीं लगता। इतना सुनते ही वो दोनों फिर हँस पड़े।
दोनो हँसकर कहें- अब तुम आ गयी हो तो डर किस बात की। हाँ पहले तो डर लग रहा था।

 

कराली ने भी अपने आप को न रोक सकी- वो भी हँसकर बोली-
दोस्‍तों बस। मैं भी जानती हूँ अपने दोस्‍तों को
, जो कभी किसी से नही डरते हैं। 

 

दोनों ने कहा- दोस्‍त- हम भी नही
भूलें अपने दोस्‍त कराली को
, तुमने तो उस मयावी सारो
को अच्‍छा मजा चखाया था। कैसे हम दोनो को वो मयावी सारो ने अपने मयावी जाल
में फसा लिया था।

 

 

 वीरों का  वीरजसस इस कहानी में सारो का सामना जसस
और उसके दोस्‍तों साथ कैसे हुआ? आगे  पढ़ेगें।

 

और तुमने आकर वो मयावी जालों को तोड़ा। और वो तुम्‍हारीं तीर जो तुम्‍हारीं आँखों
से निकलती है। 

अचानक से वो तीर को तुम्‍हारीं आँखों से लगातार निकलती देखकर वो तो डर
ही गया था। पहले तो वह तुम्‍हारीं प्‍यार वाली रूप को देखकर वो तुम पे मोहित हो गया
था। 

 

जसस ने माकू से कहा – हाँ दोस्‍त – मेरा दोस्‍त भी तो कितनी खूबसूरत है, जो देखे वो उस पर फिदा हो जाए। कराली
थोड़ी मुस्‍कुराई
, थोड़ी सरमाई और उन दोनों से कही- बस भी रहने
दो
, अब यही रूकना है क्‍या?



 

 

जसस ने कराली से पूछा – तुम यहाँ पर क्‍यों आयी हो? कराली ने कहा- दोस्‍तों मुझे भी
अपने साथ लेते चलो
,
मै भी तुम्‍हारें साथ जाना चाहती हूँ। 

 

दोस्‍तों अपनी तो वो ही कहानी। अपने दोंस्‍तों
के साथ दोस्‍ती निभानी। और फिर तुमने तो हम दोस्‍तों के लिए  बहुत कुछ किया है। तुमने तो हम दोस्‍तों के लिए अपनी
जान तक दांव में लगा दिया था। 

 

हम दोस्‍तों को मालूम है न। तुम न होते तो आज हम नहीं
होतें।

 

माकू सब सुन रहा था। फिर उसने जसस से कहा- 

 

दोस्‍तों अपनी तो वो ही कहानी। अपने दोंस्‍तों
के साथ दोस्‍ती निभानी। और फिर इतनी खूबसूरत दोस्‍त के साथ सफर का मजा ही कुछ अलग हो
जाएगा। 

 

और फिर माकू हँसकर कहा- अब तो मयावीओं को प्रेमरोग लगा जाएगा। कराली के प्रेम
से कोई भी बच नही पाएगा।

जसस और कराली हँसते हुए माकू से कहा- अब चलें। तीनों आगे बढ़ते हुए जा रहें थें, अभी भी मसाल जल रही थी।

 

चलते- चलते, आपस में बाँते
करते- करते
, वो तीनों जा रहे थें। चार पहर का समय हो रहा था। 

 

वो तीनों अब गुफा के अखिरी छोर पर पहुँचने ही वाले थें कि- पीछे से आवाज आई- रैकिरो, रैकिरो, रैकिरो। मुझे भी अपने साथ लेते चलो। हॉ, हॉ, हॉ, हॉ,

 

तीनों पीछे मुड़कर देखतें हैं। जसस ने उसकी ओर मसाल दिखाई। और माकू ने
कहा- अरे
! ये लाल- लाल।

ये कहाँ से आया।

और वो तीनों  उसे ही देख रहे थे।

 

    मै भी तुम तीनों का दोस्‍त बनना चाहता हूँ। खासकर इस रूप की रानी की, दोस्‍त बनना चाहता हूँ। हॉ, हॉ, हॉ, हॉ,

इस प्‍यारी का प्‍यारा बनना चाहता हूँ। हॉ, हॉ, हॉ, हॉ,। 

 

कुछ समझे, कि नही समझे। वैसे मै तो किसी को नही समझाता।
हॉ
, हॉ, हॉ, हॉ,। 

 

तुम तीनों को डरने की कोई जरूरत नही, तुम लोग बस इतना
जान लो
, मै लोगों को सिर्फ कच्‍चा ही खाता हूँ। और जिस हिसाब से तुम लोग इतने छोटे हो, बस एक क्षण लगेगा। 

 

    तुम लोगो की हड्डियां
भी किसी को नही मिल पाएगा। हॉ
, हॉ, हॉ, हॉ,

पर इस रूप की रानी
के उपर दिल आ गया है। इसे बिल्‍कुल कुछ भी नही करूँगा। इसे मै पहले अपनी रानी बनाउँगा।
बाद में इसे
, मै अपने छोटे उस्‍ताद के पास ले
जाउँगा। हॉ
, हॉ, हॉ, हॉ,
बांकीमौरा

 

मनमोहनी
कौन है? मनमोहनी ?

 

    अब थोड़ा यह भी जान लो,
जहाँ तुम लोग जा रहे हो
, वो मेरे- छोटे उस्‍ताद,
बांकीमौरा, की मयावी दुनिया है।

 

और ये उस दुनिया की ओर ले जाने वाली रास्‍ता
और यहाँ से शुरू होती है कहानी
, नही समझे, जहाँ तुम लोग
खड़े हो
, वो द्वार है। और इस द्वार का पहरेदार मै हूँ-
रैकिरो

 

और यह भी जान लो,
मेरा भी एक दोस्‍त है। जुकौरा
, जुकौरा, हाँ – जुकौरा।
हॉ, हॉ, हॉ, हॉ,। मुझे भी अपनी दोस्‍ती है निभानी। हॉ, हॉ, हॉ, हॉ,

 

रैकिरो है, नाम मेरा, और रोकना है, काम मेरा। जाने नहीं दूँगा यहाँ से।

 

लाल-लाल

अभी भी तीनों उसे ही देख रहे थे। जो जोर-जोर से  अपना नाम रैकिरो, रैकिरो, रैकिरो बता रहा था। और जोर -जोर
हँस रहा था। 

 

जो इतनी सारी बातें सुनाया। डराया और धमकाया जा रहा था। वो तीनों अब समझ
गये थे कि वह यहाँ से
, हम तीनों को आगे नही जाने देगा। जसस की
मसाल अभी भी जल रही थी।

वह मयावी दिखने में बहुत ही भयानक, लाल रंग का था। जिसके सिर में मनुष्‍य कि सिर की हडि्डयों का ताज
था। और हाथ में मनुष्‍य की पैर की हड्डी रखा हुआ था 

 

जो उसका अस्‍त्र था। जो उन तीनो
से पाँच गुना लंम्‍बा और चौड़ा था जिसके सिर के बाल भी बहुत ही लंबे थे। उससे भी दो
गुना लंबे बाल। 

 

वो अपने लंबे बाल को कभी झटके से फैलाये तो कभी अपने शरीर को उस बाल
से ढक ले। जैसे वह अपने बाल को दूर फैलाये तो
, वो लाल अंगार की
तरह दिखने लगता था। उसका तेज बहुत ही ज्‍यादा हो जाता। 

 

और जैसे ही वह अपने बाल को शरीर
में लपेटता तो उसका तेज कम हो जाता था।

 

 

माकू- माकू ने कहा- अरे दोस्‍तों इसकी गर्मी में, तो बहुत तेज है। हाँ दोस्‍तों
इस लाला की लाल में बहुत ताप है
, हडि्डयों को भी गला
देने वाली गर्मी कराली ने कहा।

 

लगता है कि यह  हडि्डयों को कच्‍चा नही,
पकाकर खाता है। माकू ने हँसकर कहा।

 

 

जसस दोनों की ओर देखकर उन
दोनों से कहता है- चलों दोस्‍तों इस रैकिरो से कुछ प्‍यारी बातें कर लें
, बड़ा लाल- लाल और प्‍यारा
है। 

 

    कुछ प्‍यारी बातें कर लें। चलों इसे प्‍यार की दवा दें जिससे यह लाल से हरा हो
जाए। समझें न मैं क्‍या कहना चाह रहा हूँ। 

 

दोनों जसस की ओर देखकर कहतें हैं समझ
गयें हम दोनों और यह भी समझ गये  कि अब
इसके साथ क्‍या करना है?

 

माकू ने कहा- इस लाल पर तो बहोत
प्‍यार आ रहा है
, पर इस लाल से प्‍यार मैं कैसे कर सकता हूँ? कराली के तरफ माकू देखा और हँस
दिया।

 

 

कराली माकू और जसस की ओर देखकर
कहती है
– मैं समझ गई तुम दोनों क्‍या चाहते हो मुझसे। थोड़ी मुस्‍कुराई और कही-
दोस्‍तों लगता है फिर से प्‍यार की आग जलानी होगी और इस लाल प्‍यारें की प्‍यारी
बनने की नाटक करनी होगी।

 

 

    जसस ने दोनों से कहा कि- तो
फिर चलो दोस्‍तों इस लाल प्‍यारें को थोड़ा सा प्‍यार दे दें और इस द्वार के
पहरेदार की पहरेदारी भी देख लें।

 

अब तीनों एक-दूसरे की कानों में कुछ धीरे से कुछ
बोलतें हैं।

 

अब आगे…… पढ़े


इस   कहानी को     जसस पार्ट-2 मयावी द्वार


 

 



जी, हाँ

दोस्‍तों,  आप इस पोस्‍ट में पढ़ेगें 

वीरों का वीर,  एक वीर का- अद्भुत शक्ति, अद्म साहस, दानवीरता, दयालुता और जिसके पास है अलौकिक शक्तियाँ, साथ ही उसके पास है ईश्‍वर का आर्शीवाद,की कहानी है जो इस पोस्‍ट के माध्‍यम से आप लोगों से Share कर रहा हूँ। जी हाँ, आप से यह  जरूर  जानना चाहूँगा। इस पोस्‍ट के बारें, आपकी राय क्‍या है? जरूर लिखें, मेरे इस lakshmanvaiga2248@gmail.com ई-मेल के माध्‍यम से।

 

धन्‍यवाद

 
 

     LAKSHMAN PRASAD VAIGA

       lakshmanvaiga2248@gmail.com
       https://www.lbaiga.blog
 
 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
 
 
 
 

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