जंगल में महल
तेरा प्यार बुलाये आ
जा....……
ईश्वर की हम पर असीम कृपा
हैं जो हमें दिल दिया और दिल को धड़कने के लिए प्यार दिया। प्यार पाने के लिये
साथी बनाई, जोड़ी बनाई।
पर
मिलने के बाद जोड़ी का बिछड़ जाना। क्यूँ ये दिल रोय बार-बार, आँखों से बहे अश्क
बार-बार, न जाने क्यूँ ये
दिल हो जाए बेकरार,
है चाहत मिलने को उनसे, तड़प रहा है दिल मिलने को उनसे, नजरें बिछाए बैठा है किसी
के इंतजार में, क्यूँ?
तेरा प्यार बुलाये आ
जा……....
तेरा प्यार बुलाये आ जा…..
है कशिश, तेरा प्यार पाने का, हूँ इंतजार में तेरा दीदार
करने का, है दिल में तम्मन्ना
तुझे बांहो में भर लेने का, आँखों से अश्क बह रहें हैं।
है इंतजार उस घड़ी का, नजरों से नजर मिल जाए, और दिल ने है चाहा, जल्द मिलन हो प्यार का।
जी हाँ दोस्तों ये कहानी है-
शोभापुर राज्य की राजकुमारी विधावति और
त्रिगुण कबीले का राजकुमार राजवीर राजे की है। जो है जंगलों का राजा। इनकी प्रेम कहानी जो जंगल सें शुरू हुई और इन दोनों के, प्रेम के बीच आई वो महल।
जंगल में महल
बंदिशों के मेले में, मैं था अकेला, राह ताकता रहा। इंतजार करता
रहा, उसका आने का, पर वो ना आई। इन बेडि़यों से
क्या कहूँ, जो हैं लिपटे मेरे तन
से, इन सलाखों को क्या खबर दूँ मेरे प्यार की। क्या कहूँ,
इस दिल से……. तेरा प्यार बुलाये आ जा…..
कई सौ साल पहले शोभापुर राज्य में एक
राजा थे। जिनका नाम था शोभित सिंह और उनके दो रानियां थी। राजा शोभित सिंह के तीन
पुत्रियां और एक पुत्र था। बड़ी रानी से तीन पुत्रियां और छोटी रानी से एक पुत्र
था।
शोभापुर राज्य, राजा शोभित सिंह के माँ राजमाता शोभा
देवी के नाम से पड़ा था। शोभापुर एक जादुई नगरी था। राजमाता शोभा देवी जादुगरनियों
की महारानी थी।
इस कहानी के उस भाग – दृश्य पर चलते हैं।
जो सलाखों
के अंदर उस तहखाने में बंद है, और उसके
दोस्त, जो सलाखों के इस पार हैं, जो
अपने दोस्त की आजादी के इंतजार में हैं। कि कब उसका दोस्त इन बेडियों के बंधन से मुक्त होगा। और फिर से वो हमारे साथ होगा।
ये दोस्त, हैं तो मनुष्य पर इनके पास हैं असीम जादुई ताकतें,
पर अभी न जाने क्यूँ ? लगा है इन ताकतों पर ग्रहण, जो मनुष्य
रूप में न होकर इन रूप पर हैं– घोड़ा, बंदर, कुत्ता, साँप, तोता। ये पाँच दोस्त, जो
अपने दोस्त की दशा को देखकर बहुत दुखीं हैं और अपनी सारी ताकतें लगा दीं। उसे
आजाद कराने में।
पर न जाने क्यूँ?
वो
कौन सी जादुई ताकत है जो इनके जादुई शक्तियों को रोक कर रखी है, और उन शक्तियों को कमजोर कर रही है। यदि
ऐसे ही इनकी शक्तियां कमजोर होती चली गईं तो, उनकी जानें भी
जा सकती हैं। पर न जाने क्यूँ? ये पाँचों दोस्त अपने उस दोस्त को छोड़ के भी
नही जा रहे हैं। भले ही उनकी जानें चली जाए।
महल के अंदर, उस
विरान तहखाने में दूर – दूर तक कोई आवाजें नही, बस उन बेडि़यों की आवाजें
जो चलने में बजती हैं वो ही आवाजें आ रही थीं। बस दूर से वो दरवाजें जो सलाखों से
बनी थी वो दिख रही थी।
उस तहखाने में जादुई प्रकाश जल रहा था, वो मसाल कि तरह थी पर वो
मसाल नही थी। वो जलता हुआ लौ थी जो एक जगह स्थिर नही थी। जैसे वह चलता उसके
पीछे-पीछे वो मसालें भी चलते थें। उससे भी एक अजीब, बहुत खूबसूरत तश्वीर जो
उस तहखाने की दिवाल में बनी थी जो हाथों से उकेर के बनाई गई थी।
जो हर पल इस दिवाल
से उस दिवाल पर अपने आप बन जाती और उस तश्वीर से आवाजें आती, मुस्कुराने की।
सलाखों के अंदर
उस तहखाने में जो बंद है- वह कह रहा है कि विधावति तुम यहाँ मत आना। तुम मेरी
ये दशा को देखकर दुखी हो जाओगी। ये जंजीरें मुझे तुमसे मिलने नही देगी, यदि तुम मुझसे मिलती हो तो ये जंजीरें तुम्हें भी यहां से जाने
नही देगी।
तुम यहाँ मत आना, तुम यहाँ मत आना, तुम यहाँ मत आना। विधा…..
मत आना। विधा….. तेरा प्यार बुलाया फिर भी, मत आना विधा…
सलाखों
के इस पार से उसके ये पाँचों दोस्त ये सब देख और सुन रहे थें। उनमें से एक दोस्त जो बंदर था, उसने कहा- मेरे दोस्त वो जरूर आयेगी। वो जरूर
आयेगी। जिसने दर्द दिया है, वह दवा भी देगी।
(ये
पाँच दोस्त जो अभी इन रूप पर हैं– घोड़ा, बंदर, कुत्ता, साँप, तोता। रूप इनके ये हैं पर बोली मनुष्य का ही
था।)
ये पाँचो
दोस्तों को अभी ही नींद लगी थी, कि अचानक
से तेज हवाऐं चलने लगी और बाहर से बादलों की गड़गड़ाहटों की आवाजें आने लगी।
बिजली की चमक, उन रोशनदानों से आने लगी, रोशनदानों से तेजी से उन हवाओं का
आना और साथ में काली धुंध का आना, एकाएक वो मसालों की लौ, काली हो गईं।
वहाँ पर पूरी तरह से अंधेरा छा गया, अचानक से बिजली
की चमक से कुछ भागों में उँजाला हो रहा था। वो मसालों की लौ कभी लाल तो कभी काला हो
रहा था।
बादलों की गड़गड़ाहट, और बिजली की चमक अपने उच्च शिखर
पर थीं। और बहोत ही डरावने आवाजें उस जंगल से आ रही थी।
एकाएक उन भेडि़यों की आवाजें
अपनी उच्चतम सीमा पार गई। उन रोशनदानों से आ रही बिजली के चमक से उस दिवाल पर एक विशाल
भेडि़या का परछाई दिखने लगी।
धीरे-धीरे वह परछाई बहुत ही विशाल रूप ले ली।
उनमें
से उसका एक दोस्त जो कुत्ता था। वह यह सब देख रहा था।
वह तोता को उठाया और
कहा- वो हरे(मनुष्य नाम – हरित(हरित कुमार) उठ जा मेरे दोस्त- किसी के आने
की संकेत मुझे मिल रहा है।
यहाँ पर कोई आने वाला है। यहाँ पर सब काला- काला हो गया
है। जो मेरे आँखें देख रही है वो बहुत ही डरावना है, कोई काली शक्ति इस जगह पर पर आने वाली है।
उस विशाल भेड़िये कि परछाई बहुत
ही डरावनी थी।
(महल घनी जंगलों के बीचों – बीच में था ।)
वह
तहखाना महल की अखरी छोर में था, महल के
अंत में, अखिरी कोने में था। जहाँ से उन आवाजों पर काबू पाना
बहोत ही मुशकिल था।
जहाँ से उन आवाजों को सुनना बहोत डरावना और भयांकर था। इतना
डरावना की रूहें कांप जाए, उन आवाजों में अजीब से डरावनी और
दिल को तोड़ देने वाली, मजबूत इरादों को तोड़ देने वाली, अपने आप से भरोसा तोड़ देने वाली ताकतें थी।
मानो जो उन आवाजों को सुन ले, वो पागल हो जाए। सबकुछ भूल जाए। अपनी उन पुरानी याँदों को भूल जाए।
इतना ही नही, कभी इतना शांन्त की दूर तलक कोई भी आवाजें नही। पर यह तो बस छलावा था।
महल
के चारों ओर बनी उन घेराओं(गोल चक्र) के अंदर
काली शक्तियों की,
प्रेत-आत्माँओ की, काले जादूगर और जादूगरिनों का
बसेरा था। जो ये
महल के पहरेदार थे।
काली शक्तियों की, उन प्रेत-अत्माँओ की आवाजें, उन भेडि़यों की आवाजें और उसकी प्रेमिका(राजकुमारी
विधावति) की आवजें जो बहुत दर्दनीय होतीं है।
वो रो – रो के कहती है – राजकुमार, राजकुमार।
राजकुमार, मेरे प्रिय राजकुमार, मुझे भी साथ लेते चलो, मेरे प्राणप्रिय राजकुमार। मुझे
इनके साथ नही रहना है। मुझे आपके साथ जाना है, मुझे भी अपने साथ
लेते चलो।
कुछ देर
बाद कहती है– मैं आपकी इंतजार करूँगी। मुझे आपका इंतजार रहेगा। ओ मेरे प्यारे ………..
तेरा प्यार बुलाए आ जा, आ जा।
इस आवाज
में बहुत ही दर्दनीय भयावह, असहनीय पीड़ा
होती है। जिसे सुनकर वह….. टूट जाता है।
हर रोज वह टूटता और विखरता है। उसके सीने में असंख्य जख्में हैं जो लोगों ने दियें
हैं। दर्द सहे अनगिनत।
बस कसूर इतना कि वह किसी से प्यार किया। उसके सपनों के लिए जीया।
पर इस दिल क्या ? इस दिल और दिमाग में जो बसी है उसका क्या
?
और उस प्यार का क्या
? जिसके लिए वह जिंदा है।
क्या खूब उसने कहा –
कितनी भी कर लें ये दुनिया हम
दोनों के बीच फांसले,
न होगा, हौंसले कम, न होगी
चाहतें कम
कर ले सारें सितम, लगे दे बे़ड़ीया,
अजमा ले अपनी
ताकतों कों, हम पर।
जिसने प्यार दिया है, उसी ने उस प्यार को पाने की ताकतें भी दीं
है।
हां यकीन है मुझे, उस उपर वाले पर।
आगे……
जी, हाँ दोस्तों, जंगल में महल
तेरा प्यार बुलाये आ जा....…
जंगल में महल. Castle In The Forest. एक Amazing magical Love story है।
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